झारखंड में पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया की नाराजगी
रांची:झारखंड में पत्रकारों के प्रति हो रही हिंसा के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताने वाले वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया ने हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। राजधानी रांची समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों को असामाजिक तत्वों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, जिससे पत्रकारों में असुरक्षा की भावना उपज रही है।
पिछले हफ्ते पिठौरिया में पत्रकार विजय गोप को अपराधियों ने हिंसक हमले का शिकार बनाया। इस घटना ने पत्रकारों के समुदाय में भय और चिंता का माहौल बना दिया है। वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया के झारखंड इकाई के पदाधिकारियों ने इस कृत्य की निंदा की है और प्रशासन से ठोस कदम उठाने की मांग की है।
वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया के नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
अनंत तिवारी (प्रदेश अध्यक्ष) ने कहा, “राज्य में पत्रकार अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं, और प्रशासन को इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी।”
मनोज कुमार (प्रदेश महामंत्री) ने पत्रकारों को एकजुट होने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “पहले पत्रकार बिना डर के काम करते थे, लेकिन अब अपराधियों द्वारा उन्हें डराया जा रहा है। हमें एकजुट होकर जुर्म के खिलाफ आवाज उठानी होगी।”
सिमरन शुक्ला (प्रदेश उपाध्यक्ष) ने विजय गोप के साथ हुई मारपीट की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है। पत्रकार जो समाज को आईना दिखा रहे हैं, वे अब अपराधियों की नजर में आ चुके हैं। हमें ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, अन्यथा हमें आक्रोश प्रदर्शन करना पड़ेगा।”
सौरभ राय (जिला अध्यक्ष रांची) ने पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा, “राजधानी रांची में पत्रकारों को न्यूज कवर करने में रोका जा रहा है। जैसे पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया गया है, वैसे ही झारखंड में भी इसकी आवश्यकता है।”
वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया के सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर में प्रशासन से सुरक्षा और कानून व्यवस्था को मजबूत करने की मांग कर रहे हैं। पत्रकारों के खिलाफ हो रही हिंसा न केवल एक गंभीर चिंता का विषय है, बल्कि यह समाज के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता पर भी कुठाराघात कर रही है। अगर ऐसी घटनाएँ लगातार जारी रहीं, तो असुरक्षा की भावना पत्रकारों को उनके कार्यों से वंचित कर सकती है।
सरकार को तत्काल कदम उठाते हुए पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि वे अपना कार्य निर्भीकता से कर सकें और लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा कर सकें।