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कौन हैं शर्मिष्ठा पनोली? जिसके एक इंस्टा पोस्ट ने मचाया बवाल और सीधे जाना पड़ा जेल.. जानें क्या है पूरा मामला

शर्मिष्ठा पनोली कौन हैं?

शर्मिष्ठा पनोली एक 22 वर्षीय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और पुणे की सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में लॉ की छात्रा हैं। वह मूल रूप से कोलकाता के आनंदपुर क्षेत्र की निवासी हैं। उनके इंस्टाग्राम पर लगभग 90,000 और X पर 85,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। वह सामाजिक और समसामयिक मुद्दों पर अपनी राय और वीडियो साझा करने के लिए जानी जाती हैं, जिनमें कभी-कभी आपत्तिजनक और विवादास्पद भाषा का उपयोग होता है।

क्या था पूरा मामला?

14 मई 2025 को शर्मिष्ठा ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की सैन्य कार्रवाई) पर बॉलीवुड कलाकारों, खासकर खान और अन्य अभिनेताओं की चुप्पी की आलोचना की। वीडियो में कथित तौर पर इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां थीं, जो एक पाकिस्तानी फॉलोअर के सवाल के जवाब में थीं। इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर तीव्र विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें कई यूजर्स ने उन्हें ट्रोल किया और धमकी भरे संदेश भेजे। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने वीडियो को साझा करते हुए इसे इस्लाम का अपमान और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने वाला बताया, और उनकी गिरफ्तारी की मांग की।

वीडियो के वायरल होने और भारी आलोचना के बाद, शर्मिष्ठा ने 15 मई को वीडियो हटा दिया और इंस्टाग्राम व X पर सार्वजनिक माफी मांगी। उन्होंने लिखा, “मैं बिना शर्त माफी मांगती हूं। मेरी पोस्ट में व्यक्त भावनाएं निजी थीं और मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। कृपया मेरी माफी स्वीकार करें।” उन्होंने यह भी कहा कि वह भविष्य में अपने पोस्ट में सावधानी बरतेंगी।

कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी

शर्मिष्ठा के खिलाफ कोलकाता के गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में 15 मई 2025 को एक प्राथमिकी (FIR नंबर 136/2025) दर्ज की गई। कोलकाता पुलिस ने उन्हें कई बार कानूनी नोटिस भेजने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के अनुसार, शर्मिष्ठा और उनका परिवार फरार हो गया। इसके बाद, कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया, और 30 मई 2025 को कोलकाता पुलिस ने उन्हें हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया। 31 मई को उन्हें कोलकाता के अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई और उन्हें 13 जून 2025 तक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

शर्मिष्ठा पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया:

  • धारा 196(1)(ए): धर्म, जाति आदि के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना।
  • धारा 299: धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर किए गए कार्य।
  • धारा 352: शांति भंग करने की संभावना के साथ जानबूझकर अपमान।
  • धारा 353(1)(सी): सार्वजनिक शरारत को उकसाने वाले बयान।
  • पुलिस ने उनके फोन और लैपटॉप को जब्त कर लिया है, और इनकी फोरेंसिक जांच की जा रही है ताकि और सबूतों की तलाश की जा सके।

विवाद और समर्थन

शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक संवेदनशीलता, और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की जिम्मेदारी पर बहस छेड़ दी है। कुछ लोगों, जैसे AIMIM नेता वारिस पठान, ने उनके बयानों को भड़काऊ और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया, जबकि अन्य, जैसे बॉलीवुड अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत, कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम, और डच सांसद गीर्ट विल्डर्स, ने उनकी गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया। कंगना ने कहा, “शर्मिष्ठा ने कुछ अप्रिय शब्दों का उपयोग किया, लेकिन उन्होंने माफी मांग ली। उन्हें और परेशान करने की जरूरत नहीं है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।”

X पर #ReleaseSharmistha और #ArrestSharmistha जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जो इस मुद्दे पर लोगों की विभाजित राय को दर्शाते हैं। कुछ X पोस्ट में दावा किया गया कि शर्मिष्ठा आदिवासी समुदाय से हैं, और उनकी गिरफ्तारी को कुछ संगठनों ने आदिवासी समाज के खिलाफ अन्याय बताया।

शर्मिष्ठा के वकील, मोहम्मद समीमुद्दीन, ने उनकी जमानत याचिका दायर की है और दावा किया है कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी क्योंकि कोई प्रारंभिक नोटिस नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि अलीपुर महिला सुधार गृह में शर्मिष्ठा की स्वास्थ्य स्थिति खराब हो रही है, और वहां उचित स्वच्छता नहीं है।

वर्तमान स्थिति

शर्मिष्ठा वर्तमान में 13 जून 2025 तक कोलकाता के अलीपुर महिला सुधार गृह में न्यायिक हिरासत में हैं। उनके वकील उनकी रिहाई के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, और यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच तनाव को उजागर करता रहा है।

यह मामला भारत में डिजिटल स्पेस में बढ़ती निगरानी और प्रभावशाली व्यक्तियों की जिम्मेदारी को रेखांकित करता है। जहां कुछ लोग उनकी टिप्पणियों को नफरत भरे भाषण के रूप में देखते हैं, वहीं अन्य इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन मानते हैं, खासकर उनकी माफी के बाद।

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