Sitaare Zameen Par Review: खूबसूरत मैसेज के साथ दिल में उतरती है फिल्म, बेहतरीन है आमिर का काम
सितारे ज़मीन पर मूवी रिव्यू:
कहानी: “सितारे ज़मीन पर” एक स्पोर्ट्स कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है, जो 2018 की स्पेनिश फिल्म कैम्पियोनेस का आधिकारिक रीमेक है और 2007 की तारे ज़मीन पर की आध्यात्मिक सीक्वल है। फिल्म में आमिर खान (गुलशन अरोड़ा) एक अहंकारी और गुस्सैल बास्केटबॉल कोच की भूमिका में हैं, जो अपने सीनियर को मारने और नशे में गाड़ी चलाने के बाद निलंबित हो जाता है। सजा के तौर पर उसे 90 दिनों की सामुदायिक सेवा मिलती है, जिसमें उसे न्यूरोडायवर्जेंट (बौद्धिक अक्षमता वाले) वयस्कों की एक बास्केटबॉल टीम को राष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए तैयार करना होता है। शुरू में वह इन खिलाड़ियों को “पागल” कहकर तिरस्कार करता है, लेकिन धीरे-धीरे उनकी मासूमियत और जोश उसे बदल देता है। यह कहानी न केवल उनकी, बल्कि खुद गुलशन की आत्म-खोज और सुधार की यात्रा है।
रिव्यू:
“सितारे ज़मीन पर” एक दिल को छूने वाली फिल्म है, जो समावेशिता (इन्क्लूसिविटी) और हर व्यक्ति की अनूठी सामान्यता को स्वीकार करने का संदेश देती है। फिल्म का मूल मंत्र है, “सबका अपना-अपना नॉर्मल होता है,” जो न्यूरोडायवर्जेंट व्यक्तियों के प्रति समाज की सोच को बदलने की कोशिश करता है। आमिर खान का अभिनय शानदार है; वह एक असंवेदनशील, दोषपूर्ण किरदार से लेकर एक संवेदनशील और परिपक्व इंसान तक के सफर को बखूबी दर्शाते हैं। उनकी कॉमेडी टाइमिंग, खासकर पहली छमाही में, दर्शकों को हंसाने में कामयाब रहती है।
जेनिलिया डिसूजा (सुनीता) ने गुलशन की पत्नी के रूप में एक संतुलित और भावनात्मक किरदार निभाया है, हालांकि उनकी भूमिका को और गहराई मिल सकती थी। फिल्म के असली सितारे हैं 10 नए कलाकार (आरोश दत्ता, गोपी कृष्ण वर्मा, सम्वित देसाई, वेदांत शर्मा, आयुष भंसाली, आशीष पेंडसे, ऋषि शहानी, ऋषभ जैन, नमन मिश्रा, और सिमरन मंगेशकर), जिन्होंने न्यूरोडायवर्जेंट खिलाड़ियों की भूमिका में अपनी प्रामाणिकता और गर्मजोशी से दर्शकों का दिल जीता। बृजेंद्र काला और डॉली अहलूवालिया जैसे सहायक कलाकारों ने भी हास्य और भावनाओं का तड़का लगाया।
निर्देशन और लेखन:
आर.एस. प्रसन्ना का निर्देशन फिल्म को हल्का-फुल्का और मनोरंजक बनाए रखता है, जो हंसी और भावनाओं का सही मिश्रण पेश करता है। दिव्य निधि शर्मा का लेखन संवेदनशील विषय को सावधानी और हास्य के साथ पेश करता है, हालांकि कुछ दृश्यों में अतिसंवेदनशीलता (सेंटिमेंटैलिटी) और दोहराव की वजह से गति धीमी पड़ती है।
कमियां:
फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसकी लंबाई (2 घंटे 39 मिनट) है, खासकर दूसरी छमाही में कुछ दृश्य अनावश्यक रूप से खिंचते हैं। संपादन (एडिटिंग) को और कसकर फिल्म को और प्रभावी बनाया जा सकता था। शंकर-एहसान-लॉय का संगीत कहानी के साथ जाता है, लेकिन तारे ज़मीन पर की तरह यादगार नहीं है। कुछ दृश्य, जैसे टूर्नामेंट के लिए फंडिंग का आसान समाधान, अवास्तविक लगते हैं।
बॉक्स ऑफिस और दर्शकों की प्रतिक्रिया:
फिल्म को शुरुआती मिश्रित समीक्षाएं मिली हैं। कुछ दर्शकों ने इसे “गेम-चेंजर” और “दिल को छूने वाला” बताया, जबकि कुछ ने इसे औसत और “तारे ज़मीन पर” से कम प्रभावशाली माना। ट्रेड विशेषज्ञों के अनुसार, फिल्म की शुरुआती कमाई 6-15 करोड़ रुपये के बीच रह सकती है, लेकिन सकारात्मक वर्ड-ऑफ-माउथ से यह पहले वीकेंड में 50 करोड़ तक पहुंच सकती है।
कुल मिलाकर:
“सितारे ज़मीन पर” एक खूबसूरत और प्रेरणादायक फिल्म है, जो न्यूरोडायवर्जेंट व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता और समावेशिता का संदेश देती है। यह तारे ज़मीन पर जितनी गहरी भावनात्मक छाप नहीं छोड़ती, लेकिन अपने हल्के-फुल्के अंदाज, हास्य, और शानदार अभिनय के साथ यह एक पारिवारिक मनोरंजन है। थिएटर में सामूहिक हंसी और भावनाओं का अनुभव करने के लिए यह फिल्म देखने लायक है। रेटिंग: 3.5/5
क्यों देखें?
- आमिर खान और नए कलाकारों का प्रभावशाली अभिनय।
- समावेशिता और मानवीयता का सकारात्मक संदेश।
- हास्य और भावनाओं का संतुलित मिश्रण।
क्यों न देखें?
कुछ अतिसंवेदनशील और अवास्तविक दृश्य।
लंबी अवधि और धीमी दूसरी छमाही।