PM Modi On Reservation: आरक्षण के खिलाफ राजीव गांधी का सबसे लंबा भाषण, पीएम मोदी ने कांग्रेस को दिखाया आईना, पूरी कहानी
PM Narendra Modi On Rajiv Gandhi: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार शाम को लोकसभा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि जब राजीव गांधी विपक्ष में थे, तब उनका सबसे लंबा भाषण आरक्षण के खिलाफ था जो आज भी संसद के रिकॉर्ड में मौजूद है।
PM Modi Speech In Loksabha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस को आईना दिखाया है। अपने तीखे हमले में पीएम मोदी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी विपक्ष में थे, तब उनका सबसे लंबा भाषण आरक्षण के खिलाफ था। आज भी यह संसद के रिकॉर्ड में मौजूद है।
बाबासाहेब अंबेडकर और जगजीवन राम के साथ अन्याय
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस ने संविधान के मुद्दे पर भी देशवासियों से हमेशा झूठ बोला है। यह आपातकाल का 50वां साल है। कांग्रेस ने देश के पिछड़े वर्ग और दलितों के साथ घोर अन्याय किया है। बाबा साहब अंबेडकर ने कांग्रेस की दलित-पिछड़ा विरोधी मानसिकता के कारण नेहरू जी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने उजागर किया था कि नेहरू जी ने दलितों और पिछड़ों के साथ किस तरह अन्याय किया। बाबा साहब की तरह दलित नेता बाबू जगजीवन राम को भी उनका हक नहीं दिया गया। इंदिरा गांधी ने सुनिश्चित किया कि जगजीवन राम किसी भी कीमत पर प्रधानमंत्री न बनें। इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को सालों तक दबाए रखा पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस ने चौधरी चरण सिंह के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया। इसी कांग्रेस ने पिछड़े नेता, कांग्रेस अध्यक्ष और बिहार के बेटे सीताराम केसरी के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करने का काम किया। कांग्रेस आरक्षण की घोर विरोधी रही है। नेहरू जी ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर आरक्षण का स्पष्ट विरोध किया था। इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को सालों तक ठंडे बस्ते में रखा। जब राजीव गांधी विपक्ष में थे, तो उनका सबसे लंबा भाषण आरक्षण के खिलाफ था जो आज भी संसद के रिकॉर्ड में मौजूद है। राजीव गांधी ने मंडल आयोग के क्रियान्वयन का विरोध किया था
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी लोकसभा में ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस नेताओं के रवैये, खासकर राजीव गांधी के मंडल आयोग के क्रियान्वयन के खिलाफ बात की थी। कांग्रेस पर पहले काका कालेलकर की रिपोर्ट को रोकने का भी आरोप है। 1990 के दशक में पूर्व पीएम राजीव गांधी ने सदन में विपक्ष के नेता के तौर पर मंडल आयोग का विरोध किया था। आइए जानते हैं राजीव गांधी के भाषण का संक्षिप्त अंश और पूरा घटनाक्रम।
राजीव गांधी ने 6 सितंबर 1990 को लोकसभा में भाषण दिया था।
राजीव गांधी ने 6 सितंबर 1990 को लोकसभा में मंडल आयोग पर अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री वीपी सिंह की कड़ी आलोचना की थी। मंडल आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के विरोध में उन्होंने कहा था कि देश के पीएम देश को युद्ध की तैयारी करने के लिए कह रहे हैं। वे इस देश के विपरीत काम कर रहे हैं। वे समाज में तनाव फैला रहे हैं। सरकार द्वारा उठाया गया कदम पूरी तरह से गैरजिम्मेदाराना रुख है।
राष्ट्र और समाज के बाहरी और आंतरिक दबावों पर मरहम लगाने की जरूरत
राजीव गांधी ने तब कहा था, “आज के समय में बाहरी और आंतरिक दबावों पर सरकार को मरहम लगाने की जरूरत है। जहां राष्ट्र और हमारे समाज को मदद की जरूरत है, वहां सरकार क्या करती है? वे बिना किसी तैयारी के (मंडल रिपोर्ट को लागू करने की) घोषणा कर देते हैं। इस सदन के एक बहुत ही जिम्मेदार सदस्य, एक बहुत ही वरिष्ठ सदस्य और सरकार के बहुत ही प्रबल समर्थक इंद्रजीत गुप्ता ने खुद कहा है कि मुझे लगता है कि उनके शब्द हैं, ‘यह जल्दबाजी में किया गया’ या कुछ ऐसा ही।”
करीब 10 साल बाद चुनावी राजनीति में जातिवाद की वापसी
राजीव गांधी ने अपने भाषण में कहा, “उपसभापति महोदय, लंबे समय के बाद देश में जातिगत तनाव देखने को मिल रहा है। आज हम जो जातिगत तनाव देख रहे हैं, वह दो स्तरों पर है। पहली लहर में जातिगत तनाव का कारण राष्ट्रीय मोर्चा द्वारा एकजुट होने के लिए इस्तेमाल किया गया फॉर्मूला था, जिसे ‘AIGAR फॉर्मूला’ कहा जाता है। ‘AIGAR फॉर्मूला’ एक जातिवादी फॉर्मूला था और इसने करीब 10 साल के अंतराल के बाद चुनावी राजनीति में जातिवाद को वापस ला दिया।
इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का नारा था ‘न जात पर न पात पर’
राजीव गांधी ने लोकसभा में अपने भाषण में कहा था, “कांग्रेस ‘सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों’ को हर तरह की सहायता देने के पक्ष में है, लेकिन हम इस बात के पक्ष में नहीं हैं कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के एक खास समूह द्वारा ऐसे उपायों को दरकिनार किया जाए। अगर आप पीछे देखें, तो 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने ‘न जात पर न पात पर’ का नारा दिया था।”