शराब घोटाला मामला: निलंबित IAS विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को न्यायिक हिरासत में भेजा गया
रांची: झारखंड के चर्चित शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने निलंबित IAS अधिकारी विनय चौबे और तत्कालीन उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को शनिवार, 31 मई 2025 को रांची की विशेष अदालत में पेश किया। कोर्ट ने दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
प्रमुख बिंदु
- रिमांड और पूछताछ: ACB ने शराब घोटाला मामले में दोनों अधिकारियों को दो दिनों की रिमांड पर लिया था। हालांकि, विनय चौबे की खराब तबीयत के कारण उनसे केवल एक दिन ही पूछताछ हो सकी। गजेंद्र सिंह से भी अलग-अलग पूछताछ की गई। रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद दोनों को कोर्ट में पेश किया गया।
- विनय चौबे का रवैया: पूछताछ के दौरान विनय चौबे ने अपनी खराब सेहत का हवाला देकर अधिकांश सवालों के जवाब टाल दिए। ACB ने उनसे प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन का आधार, बकाया राशि जमा न करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई, और फर्जी बैंक गारंटी की अनियमितताओं के बारे में सवाल किए। चौबे ने अपनी संलिप्तता से बार-बार इनकार किया।
- मामले का विवरण: यह मामला 38 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़ा है, जिसमें विनय चौबे (तत्कालीन उत्पाद सचिव) और गजेंद्र सिंह (संयुक्त आयुक्त, उत्पाद विभाग) पर छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर 2022 की नई उत्पाद नीति में हेराफेरी कर राज्य को वित्तीय नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
- गिरफ्तारी और निलंबन: दोनों अधिकारियों को 20 मई 2025 को ACB ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद, झारखंड सरकार ने 48 घंटे से अधिक हिरासत में रहने के नियम के तहत दोनों को निलंबित कर दिया।
- जांच का दायरा: ACB ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए विनय चौबे, उनकी पत्नी, और रिश्तेदारों सहित आठ लोगों की संपत्ति की जांच शुरू की है। रांची के निबंधन कार्यालयों से संपत्ति के दस्तावेज मांगे गए हैं।
पृष्ठभूमि
- मामले की शुरुआत: शराब घोटाले की जांच छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा सितंबर 2024 में दर्ज एक FIR से शुरू हुई, जिसमें झारखंड का नाम सामने आया। इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अक्टूबर 2024 में रांची और छत्तीसगढ़ में 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी।
- आरोप: ACB का आरोप है कि विनय चौबे और गजेंद्र सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग कर फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर प्लेसमेंट एजेंसियों को ठेके दिए, जिससे सरकार को 38.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- अन्य गिरफ्तारियां: इस मामले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें जियाडा रांची के क्षेत्रीय निदेशक सुधीर कुमार, वर्तमान GM फाइनेंस सुधीर कुमार दास, और मार्शन कंपनी के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह शामिल हैं।
वर्तमान स्थिति
- विनय चौबे ने अपनी गिरफ्तारी और मुकदमे को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि नई उत्पाद नीति सरकार की सहमति से लागू की गई थी।
- ACB की जांच में अब विनय चौबे के रिश्तेदारों, विशेष रूप से उनके साले शिपिज त्रिवेदी, से भी पूछताछ शुरू हो गई है।
- बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में CBI जांच की मांग की है, उनका दावा है कि उन्होंने 2022 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शराब घोटाले की चेतावनी दी थी, जिसे नजरअंदाज किया गया।
निष्कर्ष
झारखंड शराब घोटाला मामला राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। विनय चौबे और गजेंद्र सिंह की न्यायिक हिरासत और ACB की सख्त कार्रवाई से इस मामले में और खुलासे होने की संभावना है। जांच का दायरा बढ़ने और संपत्ति की जांच शुरू होने से यह मामला और जटिल होता जा रहा है।