झारखंड सरकार द्वारा लाई गयी बजट पर जदयू नेताओ ने निराशा जाहिर की
रांची:झारखंड बजट पर जनता दल (यूनाइटेड) का तीखा हमला, सरकार को कठघरे में खड़ा किया
झारखंड प्रदेश जनता दल (यूनाइटेड) के प्रदेश प्रवक्ता सौमेन दत्ता और वरिष्ठ नेता धर्मेन्द्र तिवारी ने आज झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तुत राज्य बजट पर अपनी कड़ी आलोचना की। दोनों नेताओं ने इसे पूरी तरह से विफल, केंद्र सरकार पर अत्यधिक निर्भर और राज्य के वास्तविक विकास से दूर बताया। दत्ता और तिवारी ने सरकार की नीतियों को ‘दिखावे और कागजी योजनाओं’ तक सीमित करार देते हुए राज्य की जनता के हितों की पूरी तरह अनदेखी करने का आरोप लगाया।
- केंद्र पर निर्भरता – आत्मनिर्भरता की कमी:
सौमेन दत्ता ने कहा, “यह बजट पूरी तरह से केंद्र के अनुदानों पर निर्भर है, जो राज्य की आत्मनिर्भरता को कमजोर करता है। राज्य के खनिज संसाधन, वन संपत्ति और मानव संसाधन का पूर्ण उपयोग नहीं किया जा रहा है, जबकि सरकार केंद्रीय मदद पर निर्भर है। यह न केवल राज्य की वित्तीय स्वतंत्रता को सीमित करता है, बल्कि राज्य के नीति निर्माण और विकास योजनाओं को भी बाधित करता है। झारखंड को अपनी संपत्तियों का सही उपयोग करने की आवश्यकता है, लेकिन बजट में इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं है।” - किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा:
दत्ता ने कहा, “राज्य के अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन इस बजट में किसानों के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। कृषि संकट, सिंचाई सुविधाओं का अभाव, और किसानों की मदद के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। बजट में ग्रामीण विकास और कृषि क्षेत्र के लिए कोई महत्वपूर्ण आवंटन नहीं किया गया है, जिससे यह साफ दिखता है कि सरकार को किसानों की समस्याओं की कोई परवाह नहीं है।” - स्वास्थ्य क्षेत्र में कोई सुधार नहीं:
“झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद खराब है। सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, डॉक्टरों की नियुक्ति की प्रक्रिया बहुत धीमी है, और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव जनता को महंगा पड़ रहा है। इस बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई भी स्थायी और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। यह बजट राज्य के स्वास्थ्य संकट को और बढ़ाने का काम करेगा।” - बेरोजगारी के प्रति सरकार की नासमझी:
“राज्य में बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही है, लेकिन सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस नीति पेश नहीं की है। बजट में रोजगार सृजन के लिए कोई दीर्घकालिक योजना नहीं दी गई है। युवाओं के लिए रोजगार की कोई सुनिश्चितता नहीं है, और सरकार की बेरोज़गारी के प्रति कोई गंभीर चिंता नहीं दिखाई देती।” - शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की अनदेखी:
“शिक्षा क्षेत्र में सरकारी स्कूलों की स्थिति भयावह है, जहां बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद नहीं हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण के नाम पर सिर्फ कागजी योजनाएं और दिखावटी बातें की गई हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई वास्तविक बदलाव नहीं हुआ है। इस बजट में न तो शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए, न ही महिलाओं को रोजगार और सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई दिशा तय की गई। सरकार ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए।” - दीर्घकालिक विकास योजनाओं की कमी:
दत्ता ने कहा, “यह बजट सिर्फ तात्कालिक राहत देने तक सीमित है, जबकि राज्य को दीर्घकालिक विकास के लिए ठोस और सुदृढ़ योजनाओं की आवश्यकता है। सरकार ने केवल आंकड़ों और घोषणाओं के जरिए यह बजट पेश किया है, जबकि राज्य के वास्तविक विकास के लिए कोई स्थायी नीति नहीं बनाई गई है।” - प्रदूषण और पर्यावरण संकट – आंखें मूंदने वाली सरकार:
“झारखंड में खनन, उद्योग और अन्य कारणों से प्रदूषण की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। राज्य में प्रदूषण बढ़ने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और पर्यावरणीय संकट भी बढ़ रहे हैं। बजट में प्रदूषण और पर्यावरण संकट के समाधान के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। यह बजट राज्य के पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए पूरी तरह से असफल है।”
वरिष्ठ नेता धर्मेन्द्र तिवारी ने की कड़ी आलोचना:
वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र तिवारी ने भी इस बजट पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा, “यह बजट झारखंड की जनता के साथ धोखा है। राज्य के विकास के लिए कोई दीर्घकालिक योजना नहीं है, जबकि केंद्र पर निर्भरता बढ़ी है। राज्य के संसाधनों का सही उपयोग करने की बजाय सरकार ने सिर्फ तात्कालिक राहत की योजनाओं को प्राथमिकता दी है। यह बजट किसी भी दृष्टिकोण से राज्य के विकास के लिए कारगर नहीं है और झारखंड के भविष्य के लिए एक खतरनाक कदम है।”
निष्कर्ष:
सौमेन दत्ता और धर्मेन्द्र तिवारी ने कहा, “यह बजट राज्य के असली विकास की दिशा में एक विफल प्रयास है। यह केंद्रीय अनुदानों पर निर्भर है और राज्य के संसाधनों का सही उपयोग नहीं कर रहा है। सरकार को इस बजट पर पुनः विचार करना चाहिए और एक दीर्घकालिक, आत्मनिर्भर और प्रभावी योजना तैयार करनी चाहिए, जो राज्य के विकास को गति प्रदान कर सके।”