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हज़ारीबाग़ में कोयले का गंदा खेल …एनटीपीसी, सीएसएल के समानांतर हो रहा अवैध कोयला खनन…

हज़ारीबाग़: कभी मिनी शिमला के नाम से मशहूर, हज़ारों बगीचों और झीलों के लिए मशहूर हज़ारीबाग़ शहर अब कोयले के काले खेल के लिए मशहूर होता जा रहा है. कोयले के इस काले खेल के कारण वह दिन दूर नहीं जब यहां माफिया पैदा होंगे, बंदूकें गरजेंगी, हर कोयला खदान पर अलग-अलग माफियाओं का राज होगा। हर टन कोयले में माफिया का हिस्सा होगा. यह तो सिर्फ शुरुआत है

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक जिले में अवैध कोयला कारोबारी सीएसएल और एनटीपीसी के समानांतर कोयले का अवैध खनन कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक, हज़ारीबाग़ से प्रतिदिन लगभग 500 टन कोयले का अवैध खनन किया जा रहा है.

कोयले का काला खेल तीन चरणों में होता है
हज़ारीबाग़ में कोयले का काला खेल तीन चरणों में होता है. पहले चरण में गिरोह के सदस्य बंद खदानों या सक्रिय खनन क्षेत्रों से बोरियों में कोयला इकट्ठा कर एक जगह रखते हैं. गिरोह के अन्य सदस्य बोरे में रखे कोयले को एक निश्चित स्थान पर साइकिल या मोटरसाइकिल पर लादकर गिरोह संचालक के अड्डे पर ले जाते हैं. वहां से गिरोह संचालक इसे ट्रकों पर लादकर बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश भेजता है। अवैध कोयले को राज्य से बाहर भेजने के लिए फर्जी चालान भी तैयार किया जाता है या एक ही चालान के जरिये कई वाहनों को अवैध तरीके से बाहर भेजा जाता है.

सैकड़ों टन कोयला घरेलू और होटलों में भेजा जाता है
एक अनुमान के मुताबिक जिले में प्रति दिन 100 टन कोयले की खपत सिर्फ घरेलू और होटल उपयोग के लिए होती है. यह कोयला स्थानीय व्यवसायी दिहाड़ी मजदूरों से खरीदेंगे. इसके बाद कोयले की इन बोरियों को साइकिल या बाइक से जिले के सभी थाना क्षेत्रों में भेजा गया. घरों में इस्तेमाल होने वाला कोयला 1 से 150 रुपये प्रति बोरी बिकता था।

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