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श्री श्री विश्वविद्यालय में ‘चरकायतन’ का उद्घाटन, चरक संहिता पर विस्तृत चर्चा….

“आयुर्वेद भारत का गर्व है”

  • श्री श्री विश्वविद्यालय में ‘चरकायतन’ का उद्घाटन
  • चरक संहिता पर विस्तृत चर्चा
  • आयुष मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ द्वारा आयोजित

रांची, 28 जुलाई: “आयुर्वेद भारत की पहचान और गौरव है। जैसे योग को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है, वैसे ही अब आयुर्वेद को भी पूर्ण स्वीकृति की आवश्यकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की सहायता से विश्वप्रसिद्ध ‘चरक संहिता’ के प्रचार-प्रसार को भी सशक्त रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है।” यह विचार आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने ओड़िशा के कटकस्थित श्री श्री विश्वविद्यालय में आयोजित छह दिवसीय आयुर्वेद सम्मेलन ‘चरकायतन’ के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किए । यह सम्मेलन 2 अगस्त तक चलेगी, जिसमें चरक संहिता पर गहराई से अध्ययन और विचार-विमर्श किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्य अतिथी तथा ऑल इंडिया आयुर्वेद कांग्रेस के अध्यक्ष, पद्मभूषण देवेंद्र त्रिगुणा ने बताया कि आज पूरी दुनिया किस प्रकार आयुर्वेद की ओर आकर्षित हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत, विशेषकर राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के प्रतिभाशाली विद्यार्थी विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ चुक्तिपत्र (एमओयू) स्वाक्षर कर आयुर्वेद के वैश्विक विस्तार में योगदान दे रहे हैं।

उद्घाटन समारोह में श्री श्री कॉलेज ऑफ आयुर्वेदिक साइंसेज़ एंड रिसर्च हॉस्पिटल की ओर से तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। ‘चरकायतन’ सम्मेलन में लगभग 150 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया है। इस संगोष्ठी में आयुर्वेद विद्यार्थियों एवं इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों के लिए चरक संहिता के तथ्यों पर गहन अध्ययन एवं विश्लेषण की व्यवस्था की गई है।

कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ द्वारा किया गया, जिसमें प्रमुख अतिथि के रूप में पद्मभूषण देवेंद्र त्रिगुणा, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ की निदेशक डॉ. वंदना सिरोहा, आयुष मंत्रालय के उपनिदेशक सत्यजीत पाल, एनसीआईएसएम के अध्यक्ष डॉ. बी.एल. मेहरा, सीसीआरएएस के महानिदेशक रविनारायण आचार्य, श्री श्री तत्व के निदेशक अरविंद बर्चस्वी, विद्यापीठ की गवर्निंग बॉडी के सदस्य डॉ. मनोज नेसारी तथा श्री श्री विश्वविद्यालय की अध्यक्ष डॉ. रजिता कुलकर्णी सहित अनेक गणमान्य हस्तियों की उपस्थिति रही।

सम्मेलन के समारोह की तैयारियों के तहत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तेजप्रताप, कार्मिक निदेशक स्वामी सत्यचैतन्य, विभागीय डीन डॉ. प्रदीप पंडा और डिप्टी डीन डॉ. दुर्गा प्रसाद दाश ने स्वयंसेवी, छात्र-छात्राएं और शिक्षकों के सतत प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर यह आशा भी व्यक्त की गई कि जैसे योग को वैश्विक स्तर पर स्वीकृति मिली, वैसे ही आयुर्वेद को भी इस युग में एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए उचित मान्यता प्राप्त होगी।

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