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सीओ कार्यालय में 10 घंटे की जांच के बाद ईडी ने एनआईसी पर शिकंजा कसा

कांके के चामा इलाके में जमीन कारोबारियों में खौफ

रांची: कांके के सीओ कार्यालय में करीब 10 घंटे की जांच के बाद अब ईडी की टीम ने एनआईसी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी की टीम गुरुवार दोपहर एनआईसी कार्यालय पहुंची और सीओ कार्यालय से बरामद दस्तावेजों से उसका मिलान किया। जानकारों के मुताबिक ईडी के हाथ कई ऐसे पुख्ता सबूत लगे हैं, जिनसे पता चलता है कि जमीन के दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर उनके मूल स्वरूप को बदल दिया गया। इस पूरे खेल में जमकर पैसों की पेशकश की गई, जिसमें कई सफेदपोशों के रुपये काले से सफेद किए गए। ईडी सूत्रों के मुताबिक इस पूरे खेल में मनी लॉन्ड्रिंग का तगड़ा खेल किया गया है।

कमलेश की तलाश तेज

ईडी की टीम ने जमीन कारोबारी कमलेश कुमार की तलाश तेज कर दी है। कमलेश को ईडी ने तीन बार तलब किया, लेकिन कमलेश किसी भी समन पर हाजिर नहीं हुए। ईडी ने अब कमलेश को चौथी बार समन भेजा है, जिसके अनुसार उन्हें 12 जुलाई को ईडी कार्यालय में पेश होना है। लेकिन उससे पहले ईडी ने कांके के चामा इलाके में छापेमारी की और कांके रिसॉर्ट समेत आसपास के घरों की भी तलाशी ली।

एक करोड़ नकद और 100 गोलियां बरामद

ईडी ने एस्टर ग्रीन अपार्टमेंट में कमलेश के फ्लैट पर छापेमारी की, जहां से एक करोड़ रुपये नकद और 100 गोलियां बरामद की गईं। कांके थाने में आर्म्स एक्ट के तहत मामला भी दर्ज किया गया है। लेकिन चौंकाने वाली जानकारी यह है कि इस फ्लैट को कमलेश ने किराए पर लिया था और किराए के लिए एक कंपनी का नाम इस्तेमाल किया गया था। सालों पहले झारखंड में हुए घोटाले में कंपनी के संचालक का नाम भी शामिल था, जो फिलहाल दिल्ली में रहता है।

कमलेश और विक्की जायसवाल के साथ वीके सिंह

कमलेश की तलाश में चामा पहुंची ईडी की टीम के सामने स्थानीय आदिवासियों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। उन्होंने ईडी की टीम को बताया कि कमलेश के अलावा जमीन के कारोबार में विक्की जायसवाल और वीके सिंह नाम के दो लोग भी शामिल हैं, जो हथियार के बल पर जमीन पर कब्जा करते हैं। इन सभी आरोपियों पर दहशत फैलाने और जमीन के दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने का आरोप है।

एनआईसी भी जांच के घेरे में

राज्य में जमीन से जुड़े दस्तावेजों के ऑनलाइन सत्यापन की जिम्मेदारी एनआईसी के पास है, लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि एनआईसी के अधिकारियों की मिलीभगत से ऑनलाइन दस्तावेजों से छेड़छाड़ की जा रही है। इस पूरे खेल के लिए एनआईसी से जुड़े लोगों को भी रैकेट में शामिल किया गया है और साथ ही जमीन के कारोबार में भागीदार भी बनाया गया है।

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