INDIALATEST NEWS

‘संविधान के उल्लंघन का ठोस सबूत लाएं तभी होगा हस्तक्षेप…’, वक्फ कानून पर CJI ने खींच दी लक्ष्मण रेखा

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित कानूनों को संवैधानिकता की धारणा प्राप्त होती है, और जब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिलता कि कानून संविधान का उल्लंघन करता है, तब तक न्यायालय इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यह बयान वक्फ कानून के संशोधनों के खिलाफ दायर याचिकाओं के संदर्भ में आया, जहां याचिकाकर्ताओं, जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, ने दलील दी कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धर्म की स्वतंत्रता), और 26 (धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार) का उल्लंघन करता है।

CJI ने स्पष्ट किया कि 1995 के वक्फ अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार नहीं किया जाएगा, और सुनवाई केवल 2025 के संशोधन अधिनियम तक सीमित रहेगी। उन्होंने याचिकाकर्ताओं से संवैधानिक उल्लंघन के ठोस सबूत पेश करने को कहा, खासकर उन प्रावधानों के संबंध में जो वक्फ संपत्तियों को डी-नोटिफाई करने या मुस्लिम धर्म का पांच साल तक पालन करने की शर्त जैसे मुद्दों से जुड़े हैं। यह रुख न्यायपालिका की उस सीमा को रेखांकित करता है, जहां वह संसद के विधायी अधिकार में हस्तक्षेप से बचती है, जब तक कि स्पष्ट संवैधानिक उल्लंघन सिद्ध न हो।

इस टिप्पणी को संवैधानिक संस्थाओं के बीच संतुलन बनाए रखने और न्यायिक अतिक्रमण की बहस के संदर्भ में देखा जा रहा है, जैसा कि हाल के कुछ मामलों में देखा गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights